राणा सान्गा के संपूर्ण जीवनी परिचय और विचार | Biography of Rana Sanga in Hindi




 राणा सांगा परिचय 

 पूरा नाम 

 महाराणा संग्राम सिंह 

 जन्म तिथि 

 12 अप्रैल 1482 

 जन्म स्थान 

 चितौड़गढ़  

  पिताजी का नाम 

 महाराणा रायमल 

 माताजी का नाम 

 महारानी रतन कवर 

 संतान { पुत्र }

 महाराणा उदय सिंह 

 राज्य सीमा 

 मेवाड़ 

पूर्ववर्ती 

 महाराणा रायमल 

 उत्तरवर्ती 

 महाराणा उदय सिंह 

 

 राणा सांगा जी का प्रारंभिक जीवन 

राणा सांगा का पूरा नाम " महाराना संग्राम सिंह " उनका जन्म 12 अप्रैल 1482  में चीतौड़ सिसोदिया वंश मे  हुआ था। इनके पिताजी का नाम राजा रायमल था। इनके माताजी का नाम रानी रतन थी। राणा सांगा बचपन से ही बहुत बलवान , वीर , साहसी , युद्ध कला से निपूर्ण थे परंतु राणा सांगा की आरंभिक जीवन बहुत मुस्किलो  भरा हुआ था। 


राणा सांगा का राज्यभिषेक कैसे हुआ ?

जब राणा सांगा के दोनों भाई जब राणा सांगा के दुश्मन (सत्रु) बन गए थे! तब वह राजमहल  छोड़ कर आम आदमी के तरह जंगलो मे जा कर रहने लगे! तब जंगल मे उनकी मुलाकात एक करमचंद नामक व्यक्ति से हुई कुछ समय बाद करमचंद और उनके साथी ने देखा की महाराणा साँगा एक साँप छाव किए हुए! उनकी रक्षा कर रहा है! करमचंद नाम के व्यक्ति ने राणा सांगा से बोला कौन हो आप - तब राणा सांगा जवाब देते हुए बोले मै ' महाराणा रायमल ' का पुत्र हुँ! जिसके कुछ समय बाद ' महाराणा रायमल ' को पता चला की उनका पुत्र राणा सांगा जीवित है! तो उन्होंने राणा सांगा को अपने राज्य मे बुलाया और उनका 24 मई 1509 (२४/०५/१५०९) को मेवाड़ मे राज्यभिषेक किया गया था! 

➡ लोदी  पे  विजय ? 

 इब्राहिम लोदी ने अपने क्षेत्र पर संघ द्वारा अतिक्रमण (आक्रमण) की खबरे सुनने के बाद, एक सेना तैयार की और 1517 (१५१७) मे मेवाड़ के खिलाफ मार्च किया! राणा अपनी सेना के साथ राणा लोदी की सीमाओ पर खतोली मे लोढ़ी से मिले और खतोली मे आगर्मी लडाई मे लोदी सेना को गंभीर चोट लगी! लोदी सेना बुरी तरह से पराजित हो कर भाग गई! एक लोदी राजकुमार को पकड़ लिया गया! और कैद कर लिया गया! युद्ध मे राणा स्वयं धायल हो गए थे! 

 ➡ राणा सांगा द्वारा लड़े गए युद्ध 

 राणा सांगा ने मेवाड़ के राजा के रूप मे अपने शासनकाल के दौरान कई बहादुर युद्ध लड़े! उनकी कुछ सबसे उलेखनिये लडाईयों मे भी शामिल है! 

Point 1 :- धौलपुर का युद्ध (1516) :- धौलपुर का युद्ध मे राजा सांगा ने इस युद्ध मे दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराने के लिए अपने सेना का नेतृत्व किया! इस जीत ने राणा सांगा को अपने क्षेत्र का विस्तार करने मे मदत की! 

Point 2 :- गोगरोन का युद्ध (1519) :- गोगरोन के इस युद्ध के दौरान राणा सांगा ने मालवा और गुजरात की संयुक्त सेना को पराजित कर गोगरोन के दुर्ग पर अधिकार कर लिया! 

Point 3 :- बयाना का युद्ध (1526) :- बयाना के इस युद्ध मे राणा सांगा बाबर की सेना के विरुध लड़े और हार गए! हालांकि वह भागने मे सफल रहे और विदेशी आक्रमणकारीयों का विरोध करना जारी रखा! 

Point 4 :- खानवा का युद्ध (1527) :- बाबर की सेना के विरुद्ध यह राणा सांगा की सबसे प्रसिद्ध लडाई थी! राणा सांगा ने बाबर के खिलाफ राजपूत राज्यो का गठबंधन का नेतृत्व किया लेकिन अंतत: मुगल सेना के बेहतर रननीति और मारक क्षमता के कारण हार गए!


➡  राणा सांगा की मृत्यु कब और कैसे हुई ? 

खानवा के युद्ध के दौरान राणा सांगा के चेहरे पर एक तीर आकर लगी! तीर लगने के पश्चात् वे मूर्छित हो गए, युद्ध परिस्थिति को देखते एवम् समझते हुए उनके किसी विश्वासी पात्र ने उन्हे युद्ध भूमि से मूर्छित अवस्था मे रणभूमि से दूर किसी स्थान पर सैनिको के द्वारा उन्हे ले जाया गया! जिसके बाद राणा सांगा का मुकुट उनके विश्वासी पात्र ने खुद पहन कर युद्ध किया युद्ध के दौरान उन्हे भी वीरगति प्राप्त हुई, और राणा सांगा के सेना भी युद्ध हार गई! और बाबर की जीत हुई! जिसके बाद बाबर ने मेवाड़ सेना की कटी सिरो से मीनार बनवादी! कुछ समय बाद राणा सांगा को यह पता चला की वह युद्ध बाबर से हार चुके है, तो उन्हे बहुत गुस्सा आया! और उन्होंने अपने पास वाले सेनाओ से कहे की मै हारकर चित्तौड़ वापस नही जा पऊंगा! जिसके बाद उन्होंने पुनः प्रयाप्त सेनाओ को एकत्रित किये और फिर से बाबर पर आक्रमण करने की योजना बनाई! इसी दौरान उनके किसी विश्वासी पात्र ने उनके भोजन मे विष मिला दिया! और भोजन ग्रहण करने के बाद राणा सांगा की मृत्यु हो गई! उनकी मृत्यु 47 वर्ष की आयु में हुई। 


राणा सांगा के कुलदेवता कौन है ?

राणा सांगा मेवाड़ के रूप में विराजमान थे। महाराणा सांगा के कुलदेवता एकलिंग महादेव है। मेवाड़ के एकलिंग महादेव का बहुत बड़ा आराध्य देव के रूप में बहुत बड़ा स्थान है।  एकलिंग महादेव का मंदिर राजस्थान के उदयपुर में स्थित है।  एकलिंग मंदिर निर्माण मेवाड़ के संस्थापक बाप्पा रावल ने 8वी शतावदी में कराया था। एकलिंग मूर्ति की स्थापना बाप्पा रावल ने की थी। 


राणा सांगा को हिन्दूपत की उपाधि दी गई ?

 16 वी शतवादी के सबसे शक्ति साली राजा शासक राणा सांगा थे।  राणा सांगा के शरीर पर 80 घाव थे। इन्हे हिंदूपत की उपाधि दी गई। राणा सांगा को वीर एवं महानायक के रूप में गिने जाते है। 


राणा सांगा के कितने पुत्र थे ?

राणा सांगा के  07 {सात} पुत्र थें 

  • भोजराज 
  • कारण सिंह 
  • रतन सिंह 
  • विक्रमादित्य 
  • उदय सिंह 
  •  पर्वत सिंह 
  •  कृष्ण सिंह 


गागरोन का युद्ध 

सन 1519 में झालावाड़ में युद्ध हुआ ,ये युद्ध  राणा सांगा एवं गुजरात के सुल्तान मो. खिलजी के बीच हुई। युद्ध में राणा सांगा ने  मो. खिलजी को  हारा दिए , जिसके बाद मो. खिलजी को राणा सांगा ने 06 वर्ष तक बंदी बनाकर रखे बाद में मोहम्मद खिलजी को छोड़ दिया गया।  


राणा सांगा की समाधि कहाँ स्थित है ?

राणा सांगा की समाधि माण्डलगढ़ { भीलवाड़ा } में स्थित है। 



राणा सांगा के जीवन से जुडी कुछ सवाल जो परीक्षा में पूछे जाते है। 


राणा सांगा के पूरा नाम क्या था ?
राणा सांगा के पूरा नाम - राणा संग्राम सिंह 

राणा सांगा के पिता का नाम क्या था ?
राणा सांगा के पिता का नाम का नाम - राणा रायमल 

राणा सांगा के माता का नाम क्या था ?
राणा सांगा के माता का नाम - रानी रतन 

राणा सांगा की समाधी कहाँ स्थित है ?
राणा सांग की समाधी - माण्डलगढ़ भीलावाड़ 

राणा सांगा के कुल देवता थे ?
राणा सांगा के कुल देवता - एकलिंग महादेव 


राणा सांगा के राज्याभिषेक कब हुआ ?
 राणा सांगा के राज्याभिषेक सन 24 मई 1509


राणा सांगा के कितने पुत्र थे ?
राणा सांगा के सात पुत्र थे 

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