रानी लक्ष्मीबाई की "मणिकर्णिका" जीवनी परिचय | Rani Lakshmi Bai Biography in Hindi

 



रानी लक्ष्मीबाई की जीवन 

पूरा नाम 

 रानी लक्ष्मीबाई 

बचपन का नाम 

 मनु 

जन्म तिथि 

 19 नवम्बर 1828 

जन्म स्थान 

 मणिकर्णिका ताम्बे ,वाराणसी भारत 

रानी लक्ष्मीबाई की माता का नाम 

 भागरथी सापरे 

रानी लक्ष्मीबाई की पिता का नाम 

 मोरोपन्त ताम्बे 

रानी लक्ष्मीबाई की पति का नाम 

 राजा गंगाधर राव नेवालकर 

बच्चे का नाम 

 दामोदर राव 

रानी लक्ष्मीबाई की विवाह तिथि 

 1842 

रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु तिथि 

 17 - 18 जून 1858 

पति के मृत्यु तिथि 

 21 - नवम्बर 1853 

रानी लक्ष्मीबाई की आयु मृत के समय 

 28  वर्ष 


रानी लक्ष्मीबाई की प्रारंभिक जीवन 

➡ रानी लक्ष्मीबाई बाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को हुआ था। इनके बचपन का नाम " मणिकर्णिका " था।  लेकिन प्यार से इन्हे मनु कहा जाता था। इनके माता जी का नाम " भागरथी बाई " थी। एवं इनके पिता जी का नाम " मोरोपंत ताँबे " था। मोरपंत ताँबे एक मराठा थे।  और मराठा बाजिराव की सेवा में रहते थे। इनकी माता भागीरथी बाई एक संस्कृत , बुद्धिमान और धर्मनिष्ट स्वभाव की थी। एक दिन अचानक मनु ( रानी लक्ष्मीबाई ) की मृत्यु हो गई। जिसके बाद मनु ( रानी लक्ष्मीबाई ) के देख भाल करने वाला कोई नहीं था।  जिसके बाद मनु के पिता जी मनोपंत ताँवे ने उन्हें अपने साथ पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरवार में ले जाने लगे। मनु ( रानी लक्ष्मीबाई ) ने बचपन में शास्त्रों और शास्त्र की शिक्षा ली। 

➡ कुछ साल बाद सन 1842 में उनका विवाह झांसी के मराठा शासित राजा गंगाधार राव बालकर के साथ विवाह संपन्न हुआ।  जिसके बाद मनु का नाम “ रानी लक्ष्मीबाई ” रख दिया गया। विवाह के कुछ समय बाद रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया। जन्म देने के बाद करीब चार महीने की उम्र में उनकी पुत्र की मृत्यु हो गई।  

➡ जिसके बाद सन 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वस्थ बहुत अधिक बिगड़ ( ख़राब ) हो गया। जिसके बाद उन्हें दत्तक लेने की सलाह दी गई। पुत्र गोद लेने के बाद सन 21 नवंबर 1853 को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गई। दत्तत ने जिस पुत्र को गोद लिया था। उस पुत्र का नाम दामोदर राव रखा गया। 


रानी लक्ष्मीबाई की झांसी का युद्ध 

 झांसी 1852 के संग्राम का एक प्रमुख केंद्र बन गया जहाँ हिंसा भड़क गई रानी लक्ष्मीबाई  के झांसी की सुरक्षा सुदृढ करना शुरू कर दिया और एक स्वयं  सेवक सेना का गठन प्रारभ किया।  इस सेना में महिला की भर्ती की गई  जिसके बाद उन महिलाओ का शास्त्रो का प्रशीक्षण दिया गया।  जिसके बाद राज्य के आम जनता ने भी इस संग्राम में सहयोग किया।  सेना का प्रमुख झलकारी बाई को बनाया गया जो रानी लक्ष्मीबाई बाई के हमशक्ल थी।  

➡ ओरछा तथा दतिया के राजाओ ने सन 1857 के सितम्बर और अक्टूवर के महीनो में झांसी पर हमला कर दिया।  जिसके बाद रानी ने सफलतापूर्वक इसे विफल कर दिया।  

➡ ब्रितानी  सेना ने सन 1858 में जनवरी माह में झाँसी के ओर बढ़ना शुरू कर दिया।  जिसके बाद मार्च महीने में शहर को घेर लिया गया। जिसके बाद रानी लक्ष्मीबाई बाई और दामोदर राव के साथ अंग्रेजो से बच कर भाग निकले। जिसके बाद वे कालपी पहुंचे और तात्या से मिली। 

➡ ग्वालियर के किले पर रानी लक्ष्मीबाई की संयुक्त सेना और तात्या टोपे की सेना विद्रोही सैनिक के मदद से उस किले पर कब्ज़ा कर लिए।  अंग्रेजो सेना की मुकाबला रानी लक्ष्मीबाई ने जी - जान से लगाकर किये।


रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु कब और जैसे हुई। 

रानी लक्ष्मीबाई सन 17 जून 1858 को किंग्सरॉयल आयरिश के खिलाफ वीरता के साथ युद्ध कर रही थी। उस दिन रानी लक्ष्मीबाई  अपने घोड़े “ राजरत्न ” के साथ सवार नहीं थे। उस दिन वे एक अन्य घोड़ा पर सवार थे। वे घोड़ा नहर के उस पर छलांग नहीं लगा पा रहा था। क्योंकि वह  घोड़ा युद्ध के दौरान बहुत घायल हो गया था। जिस वजह से रानी लक्ष्मीबाई  सवार घोड़े से निचे भूमि पर गिर गई। वे युद्ध के दौरान रानी लक्ष्मीबाई  पुरुष योद्धा के पोषाक में थी। जिस वजह से उन्हें अंग्रेजो के सैनिक उन्हें पहचान नहीं पाए ! जिस वजह से उन्हें छोर ( रिहा ) कर दिया गया। जिस के बाद रानी लक्ष्मीबाई अपने विश्वासी सैनिक ने उनको   “ गंगादास ”  के मठ में घायल अवस्था में लाए। जिस के बाद रानी लक्ष्मीबाई को गंगा जल पीने के लिए दिया गया। तब रानी लक्ष्मीबाई घायल अवस्था में उन्होंने अपने अंतिम इच्छा बताई।  की कोई भी अंग्रेज सैनिक उनकी मृत्य शरीर को किसी भी प्रस्थिति में हाथ  न  लगाए। और ये कहने के कुछ समय पच्यात रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु ग्वालियर में हो गई। जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार ग्वालियर के बगीचा में कर दिया गया। 


रानी  लक्ष्मीबाई की समाधी कहाँ स्थित है 

रानी लक्ष्मीबाई की समाधी फूल बाग ग्वालियर - मध्यप्रदेश में स्थित हैं। फूल बाग़ में स्थित इनकी समाधी है। यहाँ पर रानी लक्ष्मीबाई की आठ मीटर लम्बी मीटर है।  इस स्थान पर हर साल जून माह में रानी लक्ष्मीबाई की याद में यहाँ मेला आयोजित होता है।  ग्वालियर में पर्यटन को बढ़ादेता है।  


रानी लक्ष्मीबाई के अनेक विशेषताए कुछ इस प्रकार थी ?

  1. नियमित योगाभ्यास करना 
  2. धार्मिक कार्यो में रूचि 
  3. सैन्य कार्यो में रूचि एवं निपुणता 
  4. उन्हें घोड़े की अच्छी परख थी 
  5. रानी लक्ष्मीबाई अपने प्रजा का सभी प्रकार से ध्यान रखती थी 
  6. गुनहगारों को उच्चित सजा देने की हिम्मत रखती थी 


रानी लक्ष्मीबाई से हमे क्या सीखने को मिलती है 

 रानी लक्ष्मीबाई से हमे ये शिक्षा मिलती है। " की हमे कभी हार नहीं माननी चाहिए ,एवं कभी भी किसी नारी को कमजोर  नहीं समझना चाहिए ,हमे बहादुर और कुशल एवं द्रीढ़ निस्चयी  होना चाहिए। तथा अपने मातृभूमि के लिए बलिदान देने से नहीं चूकना चहिए  



रानी लक्ष्मीबाई से जुडी कुछ  महत्वपूर्ण प्रश्न जो परीक्षाओ  में पूछें जाते है ?

➡ रानी लक्ष्मीबाई की बचपन का नाम क्या था ?

रानी लक्ष्मीबाई की बचपन का नाम मनु था। 

 रानी लक्ष्मीबाई की जन्म कब और कहाँ हुआ ?

रानी लक्ष्मीबाई का जन्म  19 नवम्बर 1828 झाँसी में हुआ। 

➡ रानी लक्ष्मीबाई के माता जी का नाम क्या था ?

रानी लक्ष्मीबाई के माता जी का नाम भागीरथी बाई थी। 

➡ रानी लक्ष्मीबाई के पति का नाम क्या था ?

रानी लक्ष्मीबाई के राजा गंगाधर नेवालकर था 

➡ रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु कितने वर्ष की उम्र में हुई ?

रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु 29 वर्ष की उम्र में हुई 

➡ रानी लक्ष्मीबाई की बच्चे का नाम क्या था ?

रानी लक्ष्मीबाई की बच्चे का नाम दामोदर राव था 





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