जीवन परिचय
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वास्तविक नाम
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सिद्धार्थ वसिष्ठ
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उपनाम
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सिद्धार्थ गौतम , बुद्धा , गौतम बुद्ध
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संस्थापक
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बौद्ध धर्म
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जन्म स्थान | कपिलवस्तु ,लुंबिनी, नेपाल ,एशिया |
सिद्धार्थ की व्यक्तिगत जीवन
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जन्म तिथि
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563 ई०
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पिता का नाम
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शुद्धोधन शाक्य ( गण के मिखिया थे )
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माता का नाम
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माया देवी
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जाति
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क्षत्रिय
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गांव एवं शहर
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लुंबिनी नेपाल एशिया
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बुद्ध की जन्म स्थान
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लुंबिनी नेपाल
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( मृत के समय )आयु
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80 वर्ष
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मृत तिथि
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483 ई०
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धर्म
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बौद्ध धर्म
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भगवान बुद्ध जीवन :-
सिद्धार्थ (भगवान गौतम बुद्ध ) का जन्म 563 ई० पूर्व लुंबिनी ,नेपाल में हुआ था। उनके पिता नाम शुद्धोधन शाक्य है। जो कौशल साम्राज्य के राजा थे। उनके माता का नाम महामाया देवी थी। जो कोलिये वंश से थी। जब गौतम बुद्ध का जन्म हुआ उसके 7 (सात) दिन बाद उनकी माँ (महामाया देवी) की निधन हो गया , उस के बाद उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापति गौतमी ने की , बचपन में भगवन बुद्ध का नाम सिद्धार्थ था , सिद्धार्थ ( गौतम बुद्ध ) का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा नामक स्त्री से विवाह हुआ ,विवाह से कुछ समय पच्यात इनको एक पुत्र की प्रापति हुई जिसे का नाम राहुल रखा गया।
कुछ समाये बाद जब सिद्धार्थ कपिलवस्तु के सैर करने निकले तो , सैर पर निकल ने के रस्ते में उन्हें चार प्रकार के दृश्य देखी ( जो कुछ इस प्रकार है )
- बूढ़ा व्यक्ति ➡
- एक बीमार व्यक्ति ➡
- शव ➡
- सन्यासी ➡
जब सिद्धार्थ कपिलावास्तु से सैर कर वापस वह अपने घर ( महल ) की और लौट गये , महल लौटने के बाद उनके मन वे चार घटना बहुत ही प्रभाव डाले जिससे उनका मन अशांत और विचलित होने लगा ( वे समझ गए की इस संसार में सुख - दुख एक ही छन के लिए है )
जिसके बाद उन्होंने घर छोड़ने का मन बना लिया जिसके बाद उन्होंने सत्य की खोज और ज्ञान की प्राप्ति के लिए उन्होंने सन्यासी बनने का ( ग्रहण) करने का मन ( प्राण ) ले लिए। वैराग्य के भावना सिद्धार्त के मन में धीरे - धीरे मन में होती चली गई , फिर एक रात उन्होंने अपने घर ,द्वार , माता , पिता , पत्नी , पुत्र एवं राज साही ठाट बाट को छोर कर सत्य की खोज में जंगल के ओर निकल गए। जब सिद्धार्थ गृह छोरे तब उनकी आयु मात्र 29 वर्ष थी।
ज्ञान की खोज :-गृह त्याग करने के राजकुमार सिद्धार्थ ने अपने शरीर से बहुमूल्य वस्त्र उतर दिए और केशो को कटवा का त्याग दिए। उस के बाद उन्होंने भगवे रंग का वस्त्र पहन कर सन्याशी बन गए। उस के बाद उन्होंने ज्ञान शिक्षा ग्रहण करने के लिए उत्तर भारत की और निकल गए
बुद्ध की प्रथम गुरु ⬇
जिसके बाद सिद्धार्थ (बुद्ध) ने वैशाली के अलारकलाम से सांख्य दर्शन की शिक्षा ग्रहण की जो की सिद्धार्थ के प्रथम गुरु थे।
उस के बाद सिद्धार्थ अलारकलाम से ज्ञान की प्राप्ति करने के बाद , राजगीर की और चले गए जिसके बाद वे राजगीर के रूद्रकरामपुत से शिक्षा ग्रहण किये। फिर भी उनके मन ( ह्रदय ) को शांति नहीं मिली /
इसी दौरान सिद्धार्थ के कुछ साथी मिले जो उनके साथ तपस्या करने गया के निकट निरंजन नदी के किनारे उरुवेल वन में उन्होंने अपने साथिओ के साथ घोर तपस्या की जिससे उनका शरीर सुख कर कांटा हो गया था , फिर भी उनके मन को शांति नहीं मिल रही थी. इसके बाद उन्होंने तपस्या मार्ग छोड़ने का मन बना लिए , जिसके बाद उन्होंने सुजाता नामक स्त्री के हाथोँ दूध पिकर / खीर खाकर उपवास तोड़े और भूख शांत की , ये सब देखने के बाद उनके साथी उनको छोर कर चले गए।
ज्ञान की प्राप्ति ⬇
गया नमक स्थान पर एक वट वृक्ष के निचे बैठकर उन्होंने समाधी लगाई आठवे दिन वैशाख पूर्णिमा पर 35 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ को ज्ञान की प्रापति हुई जिसके बाद वे भगवान बुद्ध के नाम से जाने गए। जिस वृक्ष के निचे भगवान को सत्य और ज्ञान की प्रापति हुई वे वृक्ष बोधित वृक्ष कहलाने लगे ( ये वृक्ष गया , बिहार में स्थित है। )
उपदेश ⬇
भगवान बुद्ध ने लोगो के माध्यम से मार्ग का उपदेश किया। उन्होंने दुःख और उसके कारन को निवारण के निम्न मार्ग सुझाया। उन्होंने अहिंशा पर बहुत जोर दिया है. उन्होंने यग और पशु - बलि की निंदा की , बुद्ध के सार कुछ इस प्रकार है
- दुःख :- संसार के दुःख है
- समुदय :- दुःख के कारण है
- निरोध :- दुःख के निवारण है
- मार्ग :- निवारण के लिए अस्टागिक मार्ग है।
महात्मा बुद्ध चले लोगो को सीखने ⬇
जब गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्रापति हुई उसके बाद वे चाहते थे. की वे इस ज्ञान को लोगो तक
गौतम बुद्ध के शिष्य ⬇
गौतम बुद्ध के प्रमुख शिष्यो ने नाम कुछ इस प्रकार है ...
- आनंद
- अनिरुद्ध
- महाकाश्यप
- रानी खेमा ( महिला )
- महाप्रजापति ( महिला )
- भद्रिका
- भृंगु
- किम्बाल
- देवदत्त
- उपालि
गौतम बुद्ध की मृत्यु कब और कहाँ हुई ⬇
भगवान बुद्ध की मृत्यु 483 ई० में पूर्व कुशीनारा में हुई उस समय उनकी उम्र 80 वर्ष थी।
धर्म से प्रचार किसने किया और किन किन देसो में किया?
धर्म के प्रचार (गुरु रिनपॉँच ) ने किया था। ➡धर्म का प्रचार तिब्बत ,भूटान एवं पड़ोसी देशों में धर्म का प्रचार किये
निर्वाण बौद्ध धर्म का परम लक्षय है. जिसका अर्थ है दीपक बुझ जाना
अर्थात
जीवन मरण चक्र से मुक्त हो जाना।
*बुद्ध ने निर्वाण को सरल बनाने के लिए निम्न दस साइलो पर बल दिए। *
- सत्य
- अहिंशा
- अस्तेय ( चोरी न करना )
- अपरिग्रह
- मध्य सेवन न करना
- असमय भोजन न करना
- सुखप्रद बिस्तर पर नहीं सोना।
- धन संचय न करना
- स्त्री से दूर रहना
- नृत्य गाना आदि से दूर रहना
भारत के महत्वपूर्ण बौद्ध मठ
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मठ
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स्थान
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टाबो मठ
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तबो गाँव , हिमाचल प्रदेश
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नामग्याल मठ
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धर्मशाला , हिमाचल प्रदेश
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हेमिश मठ
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लद्दाक , जम्मू कश्मीर
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थिकसे मठ
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लद्दाक , जम्मू कश्मीर
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शाशुर मठ
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लाहुल स्पीति , हिमाचल प्रदेश
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मिड्डालिंग मठ
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देहरादून , उत्तराखंड
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रूमटेक मठ
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गंगटोक , सिक्किम
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तवांग मठ
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अरुणाचल प्रदेश
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नामड्रालिंग मठ
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मैसूर , कर्नाटक
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बोधिमडा
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बोधगया , बिहार
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गौतम बुद्ध के जीवन से सम्बंधित बौद्ध धर्म के कुछ प्रतिक
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घटना
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प्रतिक
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घटना
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प्रतिक
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जन्म
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कमलएवं सांड
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गृह त्याग
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घोड़ा
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मृत्यु
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स्तुप
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निर्वाण
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पद - चिह्न
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ज्ञान
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पीपल ( बोधि वृक्ष)
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गौतम बुद्ध से जुडी सवाल कुछ महत्वपूर्ण सवाल ?
गौतम बुद्ध का बचपन में नाम क्या था ➡
सिद्धार्थ
गौतम बुद्ध के पिता का नाम क्या था ➡
शुद्धोधन शाक्य
गौतम बुद्ध के माता का नाम क्या था ➡
माया देवी
गौतम बुद्ध का जन्म कब और कहाँ हुआ ➡
563 ईशा पूर्व ,कपिलवस्तु के लुंबिनी नामक अस्थान पर हुआ
गौतम बुद्ध की पत्नी का नाम क्या था ➡
यशोधरा
गौतम बुद्ध के बेटे का नाम क्या था ➡
राहुल
गौतम बुद्ध के अपना राजपाठ कब छोड़े ➡
29 वर्ष के आयु में अपना राजपथ छोर दिए
गौतम बुद्ध के प्रथम गुरु कौन थे और कहाँ के थे ➡
आलारकलाम नामक के गुरु थे।
गौतम बुद्ध के द्वितीय गुरु कोण थे और कहाँ के थे ➡
रूद्रकरामपुत नामक गुरु थे।
गौतम बुद्ध को सत्य और ज्ञान की प्रापति कहाँ हुई ➡
35 वर्ष की आयु में वैशाख पूर्णिमा के रात ज्ञान की प्रापति हुई
गौतम बुद्ध कितने सालो तक तपस्या किये ➡
6 सालो तक घोर तपस्या किये
गौतम बुद्ध की मृत्यु कब और कहाँ हुई ➡
80 वर्ष की अवस्था में 483 ईशा पूरब कुशीनारा ( देवरिया उत्तरप्रदेश ) में भोजन करने के बाद हुई
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