महावीर स्वामी की जीवनी परिचय |
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नाम |
वर्धमान ( महावीर ) |
उपनाम |
वीर अतिवीर , वर्धमान , सम्मति |
जन्म तिथि |
540 ई० |
जन्म स्थान |
कुंडग्राम , वैशाली , बिहार |
पिता का नाम |
सिद्धार्थ |
माता का नाम |
त्रिशला |
वंशज |
इक्ष्वाकु , वंश |
मोक्ष ( मृत्यु ) स्थान |
पावापुरी , नालंदा , बिहार |
महावीर स्वामी का जन्म
महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व में " वैशाली ( बिहार , भारत ) " में हुआ था। महावीर स्वामी के बचपन का नाम " वर्धमान " था इनके पिता जो इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय राजा थे. जिनका नाम " सिद्धार्थ " था। एवं उनके माता नाम त्रिशला था। जिनका राजघराने से सम्बन्ध था। , राजपरिवार में जन्म होने से महावीर स्वामी का जीवन सुख - सुविधाओ से परिपूर्ण था।
महावीर स्वामी का विवाह
दिगम्बर परंपरा के अनुसार { वर्धमान } महावीर स्वामी बाल ब्रह्यचारी थे। महावीर स्वामी विवाह नहीं करना चाहते थे। क्यों की वे बाल ब्रह्यचारी विषय अपना लिए थे। क्योंकी उनको विवाह में कोई रुच नहीं थी। परन्तु इनके माता पिता महावीर स्वामी के शादी करवाना चाहते थे। परन्तु बाल ब्रह्यचारी के अनुसार वे शादी के लिए माना कर दिए थे। स्वेताम्बर परंपरा के अनुसार इनका { महावीर स्वामी } का विवाह यशोदा नामक सुकन्या के साथ सम्पन हुआ था।
महावीर स्वामी का तपस्या
12 वर्ष की {निर्वस्त्र } कठोर तपस्या करने के बाद महावीर स्वामी को 42 वर्ष की आयु में जृंभिकग्राम के समीप ऋजुपालिका नदी के किनारे साल के वृक्ष के निचे कैवल्य " ज्ञान " की प्रापति हुई। इस दौरान वे पुरे साधना काल में कठिन तपश्या किए और मौन रहे।
महावीर स्वामी की धर्म प्रसार यात्रा
महावीर स्वामी की ज्ञान की प्रापति के बाद 30 वर्ष महावीर स्वामी ने अपने ज्ञान की प्रचार करने में बिताए ! उनके धर्म प्रचार मार्ग ( रस्ते ) में जितने भी बाधा एवं कठिनाइयाँ आई। फिर भी वे अपने प्रयत्न में लगे रहे। महावीर स्वामी का विरोध अनपढ़ ,दृस्ट ,असभ्य , तथा रूढ़ीवादी ,लोग उनका विरोध करते थे। परन्तु उन सभी को अपने उच्च चरित्र और मधुर वाणी से जीत लेते थे। तथा कभी भी वे अपने मन में जो उनके विरोधी थे उनके लिए वे कभी भी बैर भाव नहीं रखते थे।
उन्होंने काशी ,कौशल , मगध , अंग मिथिला वज्जि आदि परदेशो में पैदल भ्रमण ( घूम ) कर अपने उपदेशो का प्रचार किए। उनके बाद जैन साहित्य के अनुसार बिंबिसार तथा उनके " पुत्र अजात शत्रु महावीर स्वामी " के अनुयानी बन गुए थे। उनकी पुत्री चंदना तो महावीर स्वामी की प्रथम भिक्षुणी थी। उसके बाद महावीर स्वामी की सत्य वाणी तथा जीवन के सरल मार्ग से प्रभावित होकर सैकड़ो लोग उनके अनुयानी बनाने लगे। राजा , महाराजा , वयापारी , तथा जन साधारण लोग उनके सिधान्तो का अनुसरण करने लगे और धीरे धीरे उनके अनुयायियो से संख्या बढ़ती रही।
महावीर स्वामी की मृत्यु
महावीर स्वामी 30 वर्ष तक उपदेशो का प्रचार करने के बाद 527 ईसा पूर्व ,72 वर्ष की आयु में पावापुरी { राजगीर, बिहार } में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को उन्हें मृत्यु प्राप्त हुई।
महावीर के 5 व्रत कौन थे।
- सत्य - महावीर स्वामी सत्य के बारे में कहते है ,की हे मनुष्य { पुरुष } तुम सत्य को ही सच्चा तत्व समझो। बुद्धिमान सत्य के आज्ञा में रहता है। जिससे वे मृत्यु को तैर कर पार कर जाता है
- अहिंसा - इस संसार में जीतने भी प्राणी है। उनकी हिंसा मत करना उनको अपने पथ पर जाने से रोकना , तथा सभी जीवो के प्रति अपने मन में दया का भाव सदा रखो। एवं उनका रक्षा करो। यही अहिंसाः का उपदेश महावीर स्वामी अपने उपदेशो से हमे देते है।
- अचौर्य - दूसरे का वास्तु अन्य सामग्री बिना उसके अनुमति के वास्तु या अन्य सामान का ग्रहण करना जैन धर्म में चोरी है।
- अपरिग्रह - परिग्रह पर भगवान महावीर कहते है। जो व्यक्ति खुद सजीव एवं निर्जीव चीजों का डंगरह करता है। एवं दुसरो से ऐसा करता है। या दूसरे व्यक्ति को ऐसा संग्रह करने का अनुमति देता है। उस व्यक्ति को संसार में कभी दुःखो से छुटकारा नहीं मिलता है। यही सन्देश महावीर स्वामी अपने अपरिग्रह के माध्यम पूरी दुनिया को देते है।
- ब्रह्यचर्य - महावीर स्वामी ब्रह्यचर्य के बारे में अपने बहुत अमूल्य उपदेश देते है। की ब्रह्यचर्य उत्तम तपस्या , ज्ञान , दर्शन , चारित्र, सयम और विनय की जड़ है। तपस्या में ब्रह्यचर्य श्रेस्ठ तपस्या है। जो पुरुष स्त्री से सम्बन्ध नहीं रखते है। वे मोक्ष मार्ग के तरफ बढ़ते है।
ज्ञान के प्रापति के बाद महावीर स्वामी का नाम
- महावीर
- जिन
- केवलिन
- निग्रथ
- अह
महावीर ( जैन धर्म ) का सिद्धांत
1. विधानात्मक सिद्धांत
- त्रि - रत्न
- अहिंशा में विश्वाश
- कठोर तप
- कर्म सिद्धांत
- नारियों के स्वंतत्रता पर बल
- पाप
- पुनर्जन्म का सिद्धांत
- नैतिकता पर बल
- मोक्ष
- पांच महाव्रत
2 . निषेधात्मक सिद्धांत
- ईश्वर में अविश्वाश
- यज्ञ और बली में विश्वास
- संस्कृत भाषा तथा वेदों में विश्वास
- जाती प्रथा में अविश्वास
⇒ आज जैन धर्म भारत में एक प्रमुख धर्म है। जिनका दुनिया भर में लाखो अनुयानी है। महावीर स्वामी की शिक्षाए लोगो को शांति सद्राव और आध्यात्मिक पूर्णता का जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।
महावीर स्वामी से जुड़ी कुछ सवाल जो अक्सर परीक्षा में पूछे जाते है
महावीर के बचपन का नाम क्या था ?
महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था।
महावीर का जन्म कब हुआ ?
599 ईशा पूर्व में हुआ था
महावीर की पत्नी का नाम क्या था ?
महावीर की पत्नी का नाम यशोधरा
महावीर की बेटी का नाम क्या था ?
महावीर की बेटी का नाम प्रियदर्शना
महावीर ने किस भाषा में अपना पहला उपदेश दिया था ?
महावीर ने पहला उपदेश “पाली “ में दिए थे
महावीर के पिता का नाम क्या था ?
महावीर के पिता का नाम सिद्धार्थ था
महावीर के माता का नाम क्या था ?
महावीर के माता का नाम त्रिशला था
महवीर का उपनाम क्या था ?
महावीर का उपनाम - वीर अतिवीर ,सम्मति , महावीर
जैन धर्म के पाँच महत्वपूर्ण सिद्धांत क्या है ?
अहिंसा , सत्य , असत्य , अपरिग्रह , ब्रह्यचर्य
महावीर स्वामी ने गृहत्याग किस अवस्था में की थी?
महावीर स्वामी ने 30 वर्ष की अवस्था में की थी
महावीर स्वामी के पहले शिष्य { पुरुष } कौन थे ?
महावीर स्वामी के पहले शिष्य का नाम जमाली
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