इस आर्टिकल में आप पढ़ेगे और जानेगे की ईसाई धर्म और उनके संस्थापक के बारे में
ईसा मसीह ( यीशु ) की जीवन !
ईसा मसीह ईसाई धर्म के धर्म गुरु थे। जिन्होंने ईसाई धर्म की स्थापना की ➡ ईसा मसीह का जन्म 4-6 ईसा पूर्व फलस्तीन बेथलहम नामक शहर में हुआ था। जिसके बाद ये ईसाइयो के पवित्र स्थान मानी जाती है , यीशु के माता का नाम मरियम था। जो गलीलिया प्रान्त नाजरेथ गांव की रहने वाली थी। इनके पिता का नाम यूसुफ़ था। जो दाऊद के राजवंशी बढ़ई थे। ...
ईसा मसीह जब जन्म लिए तो वे एक कुमारी कन्या के गर्भ से जन्म लिए उस कन्या का नाम मरियम था। मरियम के विवाह से पहले ही वे ईश्वरीय के प्रभाव से गर्भवती हो गई। जिसके बाद आकाशीय ईश्वर संकेतिया पाकर युसूफ ने उन्हें ( विवाह कर ) पत्नीस्वरूप उन्हें अपना लिया। विवाह सम्पन होने के बाद युसूफ गलीलिया छोड़ कर यहूदिया प्रान्त के बेथलेहम नामक नगर में रहने लगे।
ईसा मसीह ( यीशु ) कॉन थे !
ईसा मसीह ईसाई धर्म के सस्थापक थे , जिन्हे नासरत का जीसस भी कहाँ जाता है।
ईसाई समुदायको की शिक्षाओं में ईसा मसीह को ईश्वर का पुत्र भी कहाँ जाता है.
ईसा मसीह व्यक्तित्व ?
ईसा 30 साल की उम्र तक मजदूर का जीवन बिता रहे थे। उसके बाद वे धर्मोपदेशक बन गए थे। अतः वे अपने को जनसाधारण के अत्यंत निकट पाते थे। शहर के जनता उनकी नम्रता और मिलनसारिता से आकर्षित होकर वह ईसा मसीह को घेरे रहती थी। जिसके कारन ईसा मसीह कभी कभी भोजन नहीं कर पाते थे।
ईसा मसीह बच्चो को विशेष रूप से प्यार करते थे। और उस बच्चो को अपने पास बुलाकर उन बच्चो को अपना आशीर्वाद देते थे। तथा वे प्राकृतिक सौंदर्य से मुग्ध थे। वे अपने उपदशों में पुष्पों पक्षिओ आदि का उपमान में प्राय: उल्लेख करते थे।
तथा वे धन को साधना में आने वाला बढ़ना समझते थे। जिससे वे धनिओ ( आमिर ) को सावधान करते थे।
दिन दुखियो के प्रति विशेष रूप से आकर्षित होकर रोगियों को स्वास्थ प्रदान करते थे। वे अपनी अलौकिक शक्ति को व्यक्त कर उन रोगियों ने रोग के निवारण करते थे।
ईसा मसीह की मृत्यु कैसे हुई ?
यीशु ने अपने कार्यो और वचनो को सिद्ध कर दिए थे। की वे ही परमेश्वर के एकलौते पुत्र है।
☆ ये बात यहूदिया धर्म के गुरु तथा धर्मगुरुओ को अच्छी नहीं लगी। जिसके बाद गुरु / धर्मगुरुओ कने कट्टरपंथी लोगो के साथ मिलकर यीशु पर झूठा आरोप लगाने लगे जिसके बाद वे लोग वह के रोमन गवर्नर यहाँ जाकर यीशु की शिकायत कर दिए। , शिकायत कर सभी लोगी ईसा मसीह के विरुद्ध हो गई। जिसके बाद ईसा मसीह को क्रूस पर चढाने के नारे लगने लगे।
- जिस के बाद उन्हें भारी क्रूस उठाये हुए धीरे धीरे गुलगुता के पहाड़ी पर चढ़ाते चले गए। भरी जसनसँख्या में लोगो ( पुरुष और स्त्री ) की भीड़ उनके साथ पीछे पीछे चल रही थी। जिसमे स्त्री लोग उनको देख शोक मन रही थी। तभी यीशु उन्हें देखकर उन्हें कहते है। "हे यरूसलेम की पुत्रीओ आप लोग मेरा लिए मत रोओ "उसके बाद जब यीशु को गुलगुता या कलवारी पहुंचे
उसके बाद जिस स्थान पर यीशु को लटकाया गया था। और उनके दाये और बाए जो अपराधी (डाकू ) से एक का मन बदल गया यह देखकर की यीशु उन सिपाहियों के लिए ईश्वर से प्राथना कर रहे थे। ये देखकर दूसरा अपराधी ( डाकू ) निंदा करते बोला " क्या तुम मसीह नहीं "
उसके बाद उस अपराधी ने यीशु से बोला "आप हमे बचालो" , पर दूसरा अपराधी ( डाकू ) ने "बोला की तुम परमेश्वर से भी नहीं डरते" ? . हम तो अपने किए का उचित दंड पा रहे है। परन्तु इस यीशु ने तो कुछ किया ही नहीं।
तब एक अपराधी ने बोला " हम अपने किए का दंड मिला है " परन्तु इस मनुष्य ( यीशु ) ने कुछ गलत नहीं किया है। तभी एक अपराधी यीशु की और मुड़ा और उष्ण कहा " हे यीशु जब अपने राज्य में आए तो मेरी सुधि लेना"।
यीशु ने उत्तर दिया, " आज ही तुमलोग मेरा साथ स्वर्गलोक में होगा। इस प्रकार वे भी इनमे से एक बन गए जिन्होंने परमेश्वर के राज्य को उत्तराधिकारी में पाया है।
"उसके कुछ समय बाद वे अपने प्राण त्याग दिए। "
कहा जाता है। यीशु की मृत्यु के 3 दिन बाद यीशु फिर जीवित हुए। उसके बाद वह 40 दिन बाद वे स्वर्ग की और चले गए। उनके स्वर्ग जाने के बाद उनके शिस्याे ने उनके नए धर्म ( ईसाई ) धर्म को प्रचार किये जो आज विश्वभर में फैला हुआ है
यीशु के अंतिम शब्द क्या थें ?
यीशु के अंतिम शब्द - अपनी जान देने से पहले यीशु ने परमेश्वर ( भगवान ) से कहाँ की हे परमेश्वर मै अपनी आत्मा आप को सौपता हूँ। ( जब पापियों ने यीशु पर जितने अत्याचार किए जितने कस्ट दिए। अंत में उन्हें सूली पर चढ़ाया गया। अन्य जुल्म किए इसके बाद भी यीशु के मुँख से क्षमा और कल्याण का ही सन्देश आया ) यीशु के मुँख के वे अंतिम शब्द - हे परमेश्वर , उन्हें क्षमा करें।, क्योकि वे नहीं जानते की वे क्या कर रहे हैं।
ईसा मसीह के कितने शिष्य थे ?
- पीटर
- एंड्र्यू
- जेम्स (जावेदी का बेटा)
- जॉन
- फिलिप
- बर्थोलोमियू
- मैथ्यू
- थॉमस
- जेम्स ( अल्फाइयूज़ का बेटा )
- संत जुदास
- साइमनद जिलोट
- मत्तीव्याह
ईसा मसीह से जुड़ी कुछ महत्पूर्ण सवाल ?
- ईसाई धर्म के सस्थापक कौन थे ➡ ईसा मसीह
- ईसाई धर्म का प्रमुख ग्रन्थ कौन है ➡ बाईबल
- प्रभु ईसा का जन्म कब हुआ ➡ 4-6 ई० पूर्व
- प्रभु ईसा का जन्म कहाँ हुआ ➡ फलस्तीन बेथलहम नामक शहर में हुआ था।
- ईसा के पिता का नाम क्या था ➡ यूसुफ़
- ईसा के माता का नाम क्या था ➡ मरियम
- ईसा मसीह के मृत्यु होने के कितने दिनों बाद वे पुनः जीवित हुए ➡ 3 दिन बाद
- ईसा मसीह के पुनः जीवित होने के बाद वे स्वर्ग कब गए ➡ 40 दिन बाद
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